Tuesday 4 October 2016

आईटी केरियर छोड़ डेयरी फॉर्म उद्योग से बने करोड़पति

 संतोष डी. सिंह ने अच्छे-खासे आईटी करियर को छोड़ डेयरी फॉर्म उद्योग खड़ा किया। उनका फॉर्म अमृता डेयरी फॉर्म्स के नाम से जाना जाता है। आज उनके डेयरी फॉर्म उद्योग का कुल टर्नओवर 1 करोड़ रुपए सालाना है।
बेंगलुरु से तकनीकी शिक्षा में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद संतोष डी. सिंह को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में एक अच्छी नौकरी मिल गई। डेल और अमेरिका ऑनलाइन जैसे आईटी सेक्टर के मल्टीनेशनल दिग्गजों के साथ करीब 10 साल तक संतोष ने काम किया।
इन 10 सालों के अपने अनुभव को साझा करते हुए संतोष बताते हैं कि ‘उन दिनों भारत में आईटी इंडस्ट्री फलफूल रही थी। मुझे अपने काम के दौरान दुनिया के कई देशों का सफर करने का मौका मिला। देश-विदेश की यात्रा के बीच मुझे ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले, जहां अपने उद्योग के माध्यम से लोग अच्छा कमा रहे थे। यहीं से मुझे एक ऐसा उद्योग शुरू करने की प्रेरणा मिली जिसके जरिए मैं हमेशा प्रकृति के नजदीक रहकर काम कर सकूं। इसी बीच डेयरी फॉर्म उद्योग का आइडिया मेरे जेहन में आया।’
संतोष को महसूस हुआ कि भारतीय कृषि की अनिश्चितता को देखते हुए डेयरी फॉर्म उद्योग तुलनात्मक रूप से स्थिर और लाभदायक व्यवसाय है। इसी सोच के साथ अपने इस आइडिया को उद्यम में बदलने के लिए संतोष ने अपनी जॉब छोड़ने का फैसला कर लिया।
कॉर्पोरेट दुनिया की अपनी सुरक्षित नौकरी छोड़ने से पहले संतोष ने अपने परिवार की सहमति हासिल की और फिर अपने आइडिए को डेयरी फॉर्म उद्योग की शक्ल देने में जी-जान से जुट गए। इस काम में संतोष को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, प्रोसेस इम्प्रूवमेंट, बिजनेस इंटेलिजेंस, एनालिटिक्स और रिसोर्स मैनेजमेंट के वे सभी गुर काम आए, जो उन्होंने अपनी जॉब के दौरान सीखे थे।
ट्रेनिंग से हासिल की डेयरी फॉर्म उद्योग की बुनियादी जानकारी
डेयरी फॉर्म उद्योग की कोई पृष्ठभूमि न होने के कारण संतोष को इस क्षेत्र का कोई तजुर्बा नहीं था। अनुभवहीनता को दूर करने के लिए उन्होंने डेयरी फॉर्मिंग की ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया और नेशनल रिसर्च डेयरी इंस्टीट्यूट में फुलटाइम ट्रेनिंग के लिए एडमिशन ले लिया।
इस ट्रेनिंग के दौरान संतोष को पशुओं के साथ रहकर उनकी देखभाल का व्यावहारिक प्रशिक्षण मिला। इस ट्रेनिंग के बारे में संतोष कहते हैं कि ‘एयरकंडीशंड वर्कप्लेस की तुलना में डेयरी फॉर्म के खुले माहौल ने मुझे एनर्जी से भर दिया। खेतों में रहकर ट्रेनिंग पाकर मुझ में यह आत्मविश्वास गया था कि पशुपालन एक आकर्षक पेशा है जिसे मैं लंबे समय तक करना चाहूंगा।’
तीन गायों से हुई डेयरी फॉर्म उद्योग की शुरुआत 
संतोष ने अपने डेयरी फॉर्म उद्योग की शुरुआत 3 गायों के साथ अमृता डेयरी फॉर्म्स के नाम से की। करीब 20 लाख रुपए के इन्वेस्टमेंट के साथ इसकी स्थापना उन्होंने बेंगलुरु से 40 किमी दूर अपने 3 एकड़ के पुश्तैनी खेत में की, जहां नौकरी के दौरान वे वीकेंड बिताने जाते थे। शुरुआत में गायों को नहलाने, दूध निकालने और उनके छप्पर की साफ-सफाई संतोष खुद ही करते थे। धीरे-धीरे संतोष की योजना सफल होने लगी और शुरुआत के पहले ही साल में गायों की संख्या 3 से बढ़कर 20 तक पहुंच गई।
इसी के चलते संतोष ज्यादा गायों के लिए बुनियादी सुविधाएं जुटाने के प्रयास करने लगे। इसी दौरान संतोष को ट्रेनिंग देने वाले एनडीआरआई के एक ट्रेनर का उनके फॉर्म पर आना हुआ। उन्होंने संतोष को टेक्नोलॉजिकल सपोर्ट के लिए नाबार्ड से सहायता लेने की सलाह दी। इस सलाह पर अमल करते हुए संतोष ने प्रयास किए तो उन्हें नाबार्ड से पूरा सहयोग मिला। इससे अपने काम को और विस्तार देने का प्रोत्साहन मिला और उन्होंने गायों की संख्या बढ़ाकर 100 कर दी।
अकाल से नहीं मानी हार.
 
 

1 comment:

जीवन के मकान में रहे अच्छाइयों का प्रवास : आचार्य महाश्रमण

कडूर और बिरूर में अहिंसा यात्रा का भव्य स्वागत  कडूर, कर्नाटक-  सद्भावना नैतिकता और नशामुक्ति इन तीनों आयामों से जन-जीवन का कल्याण कर...